।। क्षेत्र यात्रा का पहला अनुभव।।

 

"आप लोगो ने तो सुना ही होगा ... इस दुनिया में अलग अलग तरह के लोग है अलग अलग विचारों वाले ... और उन्हीं विचारों से तो बनते है अनेक प्रकार के अंतर।।"

ऐसा ही कुछ महसूस किया मैने जब में गया अपने पहले दिन की "छेत्र यात्रा" पर गया 

तो आइए जाने क्या था वो एक  अंतर जो जगह को अलग महसूस करवा रहा था

कल हमारी यूनिवर्सिटी की तरफ से मैं एक गांव की यात्रा में गया वो पल कुछ ऐसा था जैसे लोग कहते है कि "शहर से ज्यादा सुकून तो गांव और खेतों में है"। पर लोग सिर्फ कहते ही हैं मैने महसूस किया...


उस गांव का नाम था "माधोपुर"नाम के जैसा ही था वहां का माहौल और वहां के लोग ।।

ये मेरे लिए एक नया अनुभव था एक नई शुरुआत थी। जब मै अपनी यात्रा के दौरान माधोपुर मौजूद था । वहां की सुंदरता और लोगों का हम छात्रों के प्रति इतना प्यार देख कर... 

एक "अंतर " महसूस हुआ मैने यहां के लोगों से बात की उनकी समस्याओं को सुना और समझा,और उनके जीवन के तरीकों को देखा...और फिर समझ आया वो अंतर।।


शहर और गांव के रहन सहन का अंतर ,जहां एक तरफ "गांव" में समस्याओं का हल उसी समस्या में से ढूंढ लिया जाता है... वहीं दूसरी ओर "शहर" जहां समस्या का हल ढुंढना ही एक भारी काम बन जाता है।।

जीवन में हर एक के पास समस्या का भंडार है। फरक बस हल निकलने में है...और उससे आगे बढ़ने में है।।

ऐसे ही एक कहानी उस गांव में रहने वाली एक महिला "रेहाना" जी की है।।


जिन्होंने अपना घर जो की "उत्तर प्रदेश" में मौजूद है छोड़ कर माधोपुर को चुना।

वो भी एक समस्या लेकर वहां से आए थे... समस्या परिवार की रिश्तों में दरार की ... पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और यहां अपनी एक नई दुनिया बना ली।।



उन्होंने बताया कि किस तरह वे 14 साल पहले कैसे दिन काट के  यहां पहुंची ...किस तरह उन्हें उनके घर में प्रताड़ित किया गया ...ओर भी बहुत कुछ।।

पर अब वे यहां इस जगह में "गौ सेवा " और "लोगों की सेवा"में अपना दिन व्यतीत करती हैं। 


और आखिर में जोह उन्होंने बताया वो बात मेरे दिल में घर कर गई।

उन्होंने कहा कि यहां भलेही मुझे ज्यादा खाने को और पैसा नहीं मिलता ...पर जब में यहां लोगो की और जानवरों की सेवा करती हू....उसमें जो आनंद है वो कही और नहीं।।

" और फिर मिला एक अखरी अंतर"

 जो था कि, शहर की रौनक से दूर कुछ लोग ऐसे भी हैं...जो वहां शामिल ही नहीं होना चाहते नहीं बनना चाहते उस चमक का हिस्सा और रिहाना जी की बाते को सुन कर पता लगा कि एक ही "पंजाब "में ये दो नाम " गांव" और "शहर" दो अलग अलग दुनिया बन चुके है। जिसमें लोगो ने अपना घर बसाया हुआ है। जो कि अलग बनता है हम जैसे लोगों के सोचने का अनुभव और विचार...

कल के दिन का अनुभव मेरे लिए बहुत अमूल्य है।।

जिसमें मैने सीखा कि " जीवन का सच्चा अर्थ लोगो की सेवा करने में है"

और आपको यह पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताइएगा क्योंकि 

" अंतर तों मेरे लिखने और आपके समझने में भी है "।।




 



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